महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे और उन्होंने अपने जीवन में एक अद्वितीय और अनोखी दृष्टि दिखाई। उनकी विचारधारा और आदर्शों के बारे में बहुत कुछ लोगों के मन में सवाल हो सकते हैं। एक ऐसा सवाल है कि गांधी जी पापी किसे मानते थे?
गांधी जी का मानना था कि हर इंसान में अच्छाई और बुराई का संघर्ष होता है। उन्होंने कहा था, “पापी को तो हम सब में देखो, लेकिन उसे दूसरों में ढूंढने की कोशिश ना करें।” उन्होंने यह भी कहा था कि हमें अपने अंदर की बुराई को स्वीकार करना चाहिए और उसे सुधारने की कोशिश करनी चाहिए।
गांधी जी ने अपने जीवन में यह सिद्ध किया कि पापी को सबसे पहले अपने आप में ढूंढना चाहिए। उन्होंने अपने आप को एक पापी माना और उसे सुधारने की कोशिश की। उन्होंने यह भी सिखाया कि हमें दूसरों को बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, बल्कि खुद को बदलने की कोशिश करनी चाहिए।
गांधी जी का यह मानना था कि हमें पहले अपने अंदर की बुराई को हटाना चाहिए और फिर ही हम दूसरों को सुधार सकते हैं। उन्होंने इस विचार को अपने जीवन में अमल में लाया और उनकी इस दृष्टि ने उन्हें एक महान व्यक्ति बना दिया।